कबीरा खड़ा बाजार में और पत्रकारिता का धर्म
कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।।

लेखक: सन्तोष कुमार
आज के दौर में पत्रकारिता भी उसी बाजार में खड़ी है जहाँ हर पल खबरें विचार और सूचना का प्रवाह होता है। इस बाजार में पत्रकार का सबसे बड़ा धर्म है सत्य और निष्पक्षता।
संत कबीर का यह दोहा पत्रकारिता के आदर्शों से पूरी तरह मेल खाता है। “ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर” का मतलब है कि पत्रकार को किसी राजनीतिक दल सत्ता या प्रभावशाली व्यक्ति के दबाव में नहीं आना चाहिए। उसकी कलम हमेशा जनहित,निष्पक्ष और निर्भीक रहनी चाहिए।
सूचना के इस युग में जहां सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से हर मिनट हजारों विचार प्रसारित होते हैं पत्रकार का काम और चुनौती दोनों बढ़ जाती हैं। सच्चाई को उजागर करना भ्रष्टाचार और अन्याय पर रिपोर्ट करना कभी-कभी व्यक्तिगत जोखिम भी लेता है।
पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं बल्कि समाज की सेवा और साधना है। हर रिपोर्ट, हर फीचर और हर खबर समाज के जागरूक होने और विकास की दिशा में योगदान देती है। यह वही संदेश है जो कबीर ने अपने दोहों में दिया समाज की भलाई, किसी के प्रति द्वेष या व्यक्तिगत लाभ के बिना।
आज जब अख़बार,टीवी और डिजिटल मीडिया पर खबरें ट्रेंड और टीआरपी के लिए बदलती दिखती हैं तब पत्रकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उसे शांति और संतुलन बनाए रखना होता है। उसे झूठ प्रचार और दबाव के सामने झुकना नहीं चाहिए।
कबीर की तरह पत्रकार भी उस “बाजार” में खड़ा है पर बिकता नहीं। उसका उद्देश्य किसी की खुशामद या किसी से बदला लेना नहीं बल्कि सच्चाई और सबकी भलाई है।
कबीर का यह दोहा आज भी पत्रकारिता का मूलमंत्र है। निष्पक्षता,निर्भीकता और जनहित की सेवा यही पत्रकार का धर्म है।

 *लेखक* 
सन्तोष कुमार 
संपादक दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल
मो.न. 9755618891
E mail - dainikamansamvad@gmail.com
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